न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गर्म हो चुकी है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से लेकर आदिवासी अस्मिता और घुसपैठ तक का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है. भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत सोरेन की सरकार को हर मुद्दे पर विफल बताया है. भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में आदिवासियों को UCC से बाहर रखने का वादा किया है. साथ ही कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही घुसपैठियों को झारखंड की सीमा से बाहर निकाला जाएगा. वहीं, इन सब के बीच अब मुस्लिम वोटों के गणित को लेकर भी चर्चा होने लगी है.
क्या है झारखंड में मुस्लिम वोट का गणित
आदिवासी बाहुल्य राज्य झारखंड में लगभग 15 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. राज्य में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें 15 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. वहीं सात ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 से 40 फीसदी के बीच बताई जाती है. जामताड़ा जिले में 40 फीसदी आबादी मुस्लिम है. गोड्डा और मधुपुर में 26 प्रतिशत, टुंडी और गांडेय में 23 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी के अनुमान लगाए जाते हैं. वहीं, करीब आधा दर्जन सीटें ऐसी भी हैं जहां मुस्लिम आबादी 15 से 20 फीसदी के बीच है. इन सीटों की लिस्ट में हटिया, धनबाद, महगामा जैसी सीटें शामिल हैं.
कितना रहा है मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व
जैसा कि हमने आपको बताया कि झारखंड की करीब 15 सीटों पर जीत-हार तय करने में मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. पर जनप्रतिनिधत्व के मामले में मुस्लिम हाशिए पर ही हैं. बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आए झारखंड राज्य में पहली विधानसभा चुनाव वर्ष 2005 में पहली बार हुआ था. इस चुनाव में दो सीटों पर मुस्लिम विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.
वहीं वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़कर पांच पहुंच गई थी. पर फिर वर्ष 2014 में 2005 वाली स्थिति बन गई. 2014 में भी दो ही मुस्लिम विधायक चुन कर आए. हालांकि, 2019 में इसमें सुधार हुआ और 4 मुस्लिम विधायक विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.